Gayatri Jayanti : असल में गायत्री जयंती भारत में एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। क्योंकि वेद हिंदू धर्म के केंद्र में है। और गायत्री जयंती देवी गायत्री, की मां की जन्म का जश्न मनाती है। इसलिए गायत्री जयंती का बहुत अधिक महत्व हो गया है। वास्तव में देवी गायत्री को वेदों में ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के रूप में माना गया है। उन्हें भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है। ज्येष्ट मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवी ज्ञान रूप में प्रकट हुई थी। इस दिन को निर्जला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मतांतरा गायत्री जयंती आमतौर पर गंगा दशहरा के अगले दिन मनाई जाती है। ऋषि विश्वा मित्र द्वारा दुनिया को साझा किया गया था। जिससे आज्ञानता का खात्मा हुआ। इस वर्ष गायत्री जयंती सोमवार 17 जून 2024 को मनाया जाएगा।
गायत्री जयंती का महत्व
अथर्ववेद के अनुसार मां गायत्री में आयु, जीवन, यस और धन की शक्ति है। इन्हें सनातन धर्म पंचमुखी के नाम से भी जाना जाता है। इसका मतलब यह है, कि ब्रह्मांड पांच तत्व यानी पृथ्वी, प्रकाश, जल, वायु, और आकाश से बना है। गायत्री माता को आप जीवन शक्ति का एक रूप मान सकते हैं। जो प्रत्येक मनुष्य में विधमान है। इसलिए यही कारण है, की देवी गायत्री को सभी शक्तियों का मूल माना जाता है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार गायत्री भगवान शिव की देवी हैं। उसके पांच शिर और 10 हाथ हैं। जिनमें से प्रत्येक सिर पंच तत्वों यानी पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, और आकाश का प्रतिनिधित्व करता है। जब आप उसकी तस्वीर देखते हैं। तो आप उसे एक कमल पर विराजमान देखेंगे। और उसके प्रत्येक हाथ में 10 अलग-अलग वस्तुओं जैसे- शंख, चक्र, कमल, वरदा, अभय,पकड़े हुए है। काशा, अंकुश, उज्ज्वला, रुद्राक्ष माला, और एक गदा लिए हुए है।
हालांकि अन्य पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मां गायत्री भगवान ब्रह्मा की पत्नी है। कुछ प्राचीन चित्रणो में भी उसे केवल एक शिर के साथ दिखाया गया है। गायत्री मंत्र के बारे में एक रोचक तथ्य जो श्रीगवेद से लिया गया है। उसमें 24 अक्षर है। प्रत्येक अकक्षर ब्रह्मांड की 24 तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।
यह संसार की अन्यतम संरचना का एक अद्वितीय प्रकार है।
- पाँच भौतिक तत्व (पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, और आकाश)।
- पाँच तन्मात्राएँ (जैसे गंध, रस, रूप, स्पर्श, और शब्द)।
- पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ (जैसे नाक, जीभ, नेत्र, त्वचा, और कान)।
- पाँच कर्मेन्द्रियाँ (जैसे जनन, गुदा, पैर, हाथ, और मुँह)।
- चार वायु (प्राण, अपान, व्यान, और समान)।
ये सभी मिलकर मानव शरीर और उसकी अन्तर्गत शक्तियों की मौलिक संरचना का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कुछ और संस्करण में अंतिम चार संस्करणों को अंतकरण माना जाता है मन, बुद्धि, चित्त,अहंकार देवी गायत्री सृष्टि के विभिन्न तत्वों का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए यही कारण है, कि वह सर्वोच्च देवता के रूप में जाना जाता है। और अंधकार को दूर कर आत्मा को अवलोकित करती है।
गायत्री जयंती तिथि और समय
गायत्री जयंती का उत्सव 17 जून 2024 को मनाया जाएगा। यह तिथि सोमवार को है। इसी दिन पूर्णिमा भी है, जिसकी प्रारंभिक समय 17 जून 2024 को प्रातः 04:43 बजे है और इसका समापन 18 जून 2024 को प्रातः 06:24 बजे होगा। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप और पूजा किया जाएगा, जिससे भक्त देवी गायत्री की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं।
जानिए यह उत्सव क्यू मनाया जाता है?
गायत्री जयंती के दिन ऋषि विश्वामित्र ने सर्वप्रथम गायत्री मंत्र का उच्चारण किया था। कुछ लोगों का यह भी मानना है, कि वेदों की माता गायत्री इसी दिन धरती पर प्रकट हुई थी। कि किवंदतियों के अनुसार देवी गायत्री सर्वोच्च देवी है। और उन्हें देवी मां के रूप में भी पूजा जाता है। देवी गायत्री ने अपने भक्तों को सभी आध्यात्मिक और सांसारिक सुख प्रदान किए हैं।
उत्सव और अनुष्ठान के बारे में जानिए
भक्त देवी गायत्री की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। पंडितों द्वारा आयोजित प्रार्थना और पूजा के रूप में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोग अपने सम्मान और भक्ति की पेशकश करने के लिए इकट्ठा होते हैं। इस दिन सत्संग और कीर्तन का आयोजन किया जाता है। और गायत्री मंत्र का जप भी किया जाता है। यदि भक्त गायत्री मंत्र का जाप करते हैं। तो किसी अन्य मंत्र का जाप करने की आवश्यकता नहीं होती है। दिन में तीन बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। अधिक मानता सुबह, दोपहर, और शाम को गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
गायत्री मंत्र का विशेष महत्व-मंत्रों में सबसे पवित्र मंत्र
गायत्री मंत्र की सर्वोच्च हिंदू धर्म शास्त्रों और पुराणों में स्थापित है। वास्तव में इस मंत्र की शक्ति सर्वविदित है। वैदिक काल मे ऐसा माना जाता है। कि गायत्री मंत्र का जेपी करने से भक्तों को जीवन के दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। वास्तव में गायत्री मंत्र व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त कर देता है, ऐसा माना जाता है, कि यह सभी दुखों को समाप्त करता है। और हमारे जीवन को आनंद और सुख खुशी से भर देता है। गायत्री जयंती के अवसर पर भक्त गायत्री मंत्र का जाप करके इस दिन को मना सकते हैं।
गायत्री मंत्र पढिए
गायत्री मंत्र: ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवि- तुवरण्यं
भर-गो देवस्यः धीमहि
धियो यो न: प्रचोदयात्
https://youtu.be/3Jga55fzyXE?si=h2N1sY8hXsp-UnzV