Salima Tete Biography In Hindi : सलीमा टेटे झारखंड के सिमडेगा जिले के एक छोटे से गाँव बड़की छापर की रहेने वाली है। उनकी माँ ने रसोईया और दुसरो के घरों में बर्तन तक माजा करती थी। जानिये इनके जीवन की सम्पूर्ण जानकारी इनकी शिक्षा, पारिवार, स्कूल-कॉलेज, करिअर, क्रिकेट करिअर, नेटवर्थ, आदि के बारे में विस्तार से।
सलीमा टेटे प्रारम्भिक जीवन
सलीमा टेटे का जन्म सन 26 दिसंबर 2001 को हुआ था। और यह झारखंड के सिमडेगा जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर पीथरा पंचायत के छोटे से गाँव बड़किछापर में रहने वाले एक गरीब पारिवार में हुआ था। एक समय था जब कभी हाथ से बने बांस की स्टिक और बॉल से हॉकी खेलना सुरू करने वाली सलीमा को हॉकी इंडिया के साल के बेस्ट महिला खिलाड़ी का अवॉर्ड मिला। सलीमा का परिवार आज भी गाँव में मिट्टी के मकान में रहेता है। पिता शूलक्सन टेटे और भाई अनमोल लकड़ा खेत में हल जोतकर अनाज पैदा करते है। और इनकी माता सुबानी टेटे हाउस वाइफ है। और सलीमा टेटे की कुल 5 बहेने है। सलीमा टेटे को लेकर बहन ईलीसन टेटे,अनिमा टेटे, सुमिता टेटे, महिमा टेटे आदि है। सलीमा को देखकर इनकी छोटी बहन महिमा भी हॉकी खेलने लागि। और नेशनल लेवल पर झारखंड का प्रतिनिधित्व करती है।
सलीमा टेटे की कुछ अन्य जानकारी
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा बनकर देश का प्रतिनिधित्व करने वाली खिलाड़ी सलीमा टेटे बेहद सामान्य पारिवार से आती है। सुक्रवार को खेले जा रहे मुकाबले में एक तरफ जहा सलीम ब्रिटेन के खिलाड़ियों से टक्कर ले रही थी। और दूसरी तरफ इनकी बहन महिमा टेटे गाँव के खेतों में गाये चरा रही थी। लोग सलीमा के घर पर मैच देखने के लिए आए थे। बहन महिमा टेटे अपने भतीजे प्रियांस के साथ कर्म क्षेत्र में उतरी हुई थी। ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कांस्य पदक जीतने के बाद दुनिया भर की निगाहे महिमा टीम के प्रदर्शन पर लगी हुई थी। झारखंड के घोर नक्सल प्रभावित सिमडेगा जिले की बेटी सलीमा टेटे टोक्यो में भारतीय महीला टीम का अहम हिस्सा है। मैच के दौरान सलीमा के गाँव बड़किछापर में खुशी का माहौल रहा। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर सिमडेगा जिला प्रशासन के ओर से महिला खिलाड़ी के पारिवार को LED तवी दिया गया है। सलीमा की बहन और भतीजे को छोड़कर पूरे परिवार के सदस्य व गाँव के लोग मैच देख रहे थे। सबकी यही कामना है की भारतीय महिला टीम भी ओलंपिक में इतिहास बनाए। और कांस्य पदक लेकर लौटे। मैच देखने के लिए भारी संख्या में गाँव के लोग सलीमा के घर पर इकठ्ठा हुए थे। और इधर सलीमा की बहन व राष्ट्रीय स्तर की हॉकी खिलाड़ी महिमा टेटे ने बताया की वह भगवान से प्रार्थना कर रही है की भारतीय टीम को जीत मिले। सलीमा के पिता सुल्कसन टेटे भी खेत मैं हल जोतने के बाद घर पर मैच देखने के लिए गए है। उन्होंने कहा की आज भारत के साथ साथ उनके लिए भी अहम दिन है। आज इनकी बेटी सलीमा टेटे भी देश के लिए खेल रही है। उम्मीद हैकी भारतीय महिला टीम ही पदक को जीत कर लाए।
इवेंट्स ओलंपिक गेम्स की शुरुआत
विश्व के सबसे बड़े स्पोर्ट्स इवेंट्स ओलंपिक गेम्स बस शुरू ही होने वाला है। और इस बार भारत की ओर से कई महिला प्लेयर भी इन गेम्स में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है। बता दे की ओलंपिक्स में इस बार भारत की तरफ से हिस्सा लेने वाले कुल सदस्यों की संख्या 127 है। जिनमे महिला खिलाड़ियों की संख्या 56 है। इन महिला खिलाड़ियों में टोक्यो ओलंपिक के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम में सिमडेगा की सलीमा टेटे का भी सेलेक्सन हुआ है। 27 दिसंबर 2001 को झारखंड के एक छोटे से गाँव में जन्मी सलीमा टेटे ने बेहद काम उम्र में ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया था। इतना ही नहीं 15 साल की उम्र में ही उन्हे जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए चुन लिया गया था। वैसे इस बार ओलंपिक के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम में झारखंड की एक नहीं बल्कि 2 बेटियों का सेलेक्शन हुआ है। जिनमे से एक का नाम सलीमा टेटे है। और दूसरी प्लेयर का नाम निक्की प्रधान है।
सलीमा टेटे करिअर की शुरुआत
सलीमा टेटे में हॉकी खेलने का जज्बा बचपन से ही था। सलीमा टेटे के अनुसार वह सिमडेगा में जहा अभ्यास करती थी। वह कोई मैदान नहीं था। बल्कि मिट्टी का मैदान था। इसलिए हर दिन हॉकी खेलने से पहले उन्हे व उनके दोस्त को वहा पर पड़े कंकड़ पत्थर को खुद ही हटाया करती थी। और जमीन को जितना हो सके, चिकना बनाने की कोशिश करती थीं। और टेम्पेरेरी गोलपोस्ट को सही करते थे। इतना ही नहीं कभी हॉकी ना होने पर वे लकड़ी के डंडियों का उपयोग करती थी।
सलीमा टेटे के अनुसार उन्हे हॉकी खेलने की प्रेरणा पिता जी से मिली है। इनके गाँव में हर कोई हॉकी खेलता है। भले ही उनके पास सुविधाओ का अभाव था। इनके पिता खेल खेलते थे। इतना ही नहीं,वह सलीमा के पास के गाँव में टूर्नामेंट देखने के लिए ले जाया करते थे। जिसके कारण एक एक किशान की बेटी हॉकी खेलने का सपना लिए बड़ी हुई है।
भले ही बचपन से उन्हे हॉकी खेलना अच्छा लगता था। लेकिन उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था। वह कभी देख के लिए खेलेंगी। हालांकि उन्हे अपने सपने पर पूरा विश्वास था। सलीमा टेटे ने एक इंटेरव्यू में बताया की मैं अपने गाँव की पहली खिलाड़ी हु जिसने अंतर्राष्ट्रीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। इस तरह उन्होंने केवल अपने गाँव, जिले, राज्य और पूरे देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है।
सलीमा टेटे एक बार नहीं कई बार अपनी काबिलियत और खेल के प्रति अपने जुनून का लोहा मनवा चुकी है। इन्हे सबसे पहेले साल 2016 में जूनियर( “भारतीय महिला हॉकी टीम”) मे चुना गया था। इन्होंने साल 2016 में U18 एसिया कप के लिए जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम के बतौर उप-कप्तान खेला था। और इस टीम ने (कांस्य पदक ) जीता था। इसके बाद नवंबर 2016 में सलीमा टेटे को सीनियर महिला टीम में एक कॉम्प्टीशन के लिए भी चुना गया था। और फिर वह आस्ट्रेलिया दौरे पर गई। इसके बाद साल 2019 मे यूथ, ओलंपिक मे उन्हे जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया। और इस टीम ने (रजत) पदक जीता। इसके बाद साल 2019 मे ही उन्हे स्थायी रूप से सीनियर भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए चुना गया। अब यही टीम टोक्यो ओलंपिक में अपने खेल का हुनर दिखाएगी। वह पहली बार तब प्रसिद्धि में आई जब उन्होंने 2018 में ब्यूनस आयर्स मे युवा ओलंपिक मे भारतीय जुनियर टीम की कप्तानी करते हुए रजत पदक को जीता था।
2017 में सिनीएर राष्ट्रीय टीम के साथ सलीमा टेटे ने बेलारुस के खिलाफ श्रीनखला मे अपनी उपस्थिति दर्ज की। अपने पदार्पण के बाद से वह राष्ट्रीय टीम का एक अभिन्न अंग बन गई हैं। उन्होंने FIH ओलंपिक क्वालीफायर मे संयुक्त राज्य आमेरिका पर भारत की जीत में योगदान दिया। उनके रक्षात्मक कौसल को पहचान तब मिली जब उन्होंने 2021 में स्थगित टोक्यो 2020 ओलंपिक मे भारत का प्रतिनिधित्व किया। जहा भारत ने शानदार चौथा स्थान हाशिल किया।
झारखंड के मूल निवासी निक्की प्रधान के नक्शेकदम पर चलते हुए, सलीमा टेटे ने अपने राज्य से दूसरे ओलंपियन के रूप मे भारतीय खेल इतिहास मे अपना नाम दर्ज कराया। इन्होंने 2022 मे महिला एसिया कप मे अपने प्रभावशाली प्रदर्सन का शीलशिला जारी रखा, जहां भारत ने तीसरा स्थान हाशिल किया। इसके बाद इन्होंने FIH हॉकी महिला प्रो लीग 2021-22 मे भारत को तीसरे स्थान पर लाने और बर्मिंघम मे राष्ट्रमंडल खेल 2022 मे टीम के कांस्य पदक मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
साल 2023 मे सलीमा ने अपने करिअर मे आगे बढ़ते हुए देखा क्योंकि उन्होंने चीन की हाँगझू मे एशिआई खेल 2022 मे भारत के लिए कांस्य पदक हाशिल करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, कुछ ही समय बाद वह रांची, झारखंड मे हॉकी महिला चैपियन्स ट्रॉफी 2023 मे अभूतपूर्व थी। इन्होंने न केवल जापान पर भारत की 4-0 कि शानदार जीत मे योगदान दिया। बल्कि अपनी टीम के लिए दूसरे प्रमुख स्कोर के रूप मे भी उभरी, जिन्होंने पाँच गोल किए, जो टीम की साथी संगीता कुमारी से केवल एक गोल कम था।
स्रोत | तिथि |
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News18 | 12 नवंबर 2020 |
पटवर्धन, दीप्ति, “झारखंड की हॉकी रानियों का ओलंपिक सपना”, मिंटलाउंज | 4 मई 2021 |
“सलीमा ने भारत के कप्तान के रूप में सविता से कमान संभाली”, द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया | 3 मई 2024 |
कुमार, मृत्युंजय, “हॉकी खिलाड़ी निक्की प्रधान, सलीमा टेटे ओलंपिक के लिए चयनित”, द पायनियर | 5 जुलाई 2021 |
“पीछे से आगे और केंद्र तक: कैसे प्रगतिशील सोच ने ग्रामीण झारखंड को भारत की महिला हॉकी हॉटस्पॉट में बदल दिया”, इंडियन एक्सप्रेस | 3 दिसंबर 2023 |
“मिडफील्डर सलीमा टेटे का कहना है, ‘टोक्यो ओलंपिक 2020: स्थगन से भारतीय महिला हॉकी टीम को सुधार की गुंजाइश मिलती है’, पहिला पद | 29 अप्रैल 2020 |
गुप्ता, केए, “टोक्यो ओलंपिक हॉकी टीम में झारखंड की दो लड़कियां | रांची समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया”, द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया |
सदानंदम, अभिषेक, “टोक्यो ओलंपिक में जाने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम पर एक नज़र”, thebridge.in | 24 जून 2021 |
FAQ:
Q. सलीमा टेटे का डेट ऑफ बर्थ क्या है?
सलीमा टेटे का डेट ऑफ बर्थ 27 दिसंबर 2001 है।
Q.सलीमा टेटे के पिता का नाम क्या है?
सलीमा टेटे के पिता का नाम शूलक्सन टेटे है।
Q.सलीम टेटे की कुल कितनी बहने है?
सलीमा टेटे की कुल 5 बहेने है, सलीमा टेटे,
महिमा टेटे,ईलीसन,
अनीमा,सुमंती टेट
Q.सलीमा टेटे का पेशा क्या है?
सलीमा टेटे एक हॉकी खिलाड़ी है।